एक पिता अपने बेटे के साथ घोड़े की सहायता से
जा रहे थे,
उसने बेटे को घोड़े पर बैठाया हुआ था और
खुद पैदल चल रहे थे ।
यह देखकर लोगो ने कहा कैसा पागल इंसान है,
जब घोड़ा साथ मे है तो खुद पैदल चल रहा है ।
उसने सोचा बात तो ठीक है लोग सही बोल रहे है,
तो वो भी घोड़े पर बैठ गया और आगे की राह पर चल पड़े
कुछ ही दूर वापस लोगों ने उन्हें देखा तो बोले,
कैसे मूर्ख लोग है,
कमजोर घोड़े की जान निकाल रहे है,
फिर से उन्हें लगा कि बात तो ठीक है।
अबकी बार वो खुद घोड़े पर बैठ गए और बेटा
पैदल चलने लगा ,
कुछ ही दूर फिर से लोगों ने कहा कैसा मूर्ख बाप है,
खुद तो घोड़े पर बैठा है और बेटा पैदल चल रहा है।
अब वो परेशान हो गया तो उसने सोचा कि क्यो ना हम
खुद घोड़े के साथ पैदल चले,
लेकिन इस बार भी लोगो की कटाक्ष से वो बच नही पाए
लोगों ने कहा कैसे मूर्ख लोग है,घोड़ा होते हुए भी पैदल चल रहे है ।
अब उनको कुछ समझ आया वो ये था
की अगर लोगो की बातों मे सोचकर आगे बढ़ेंगे तो
लोग हर तरफ से कटाक्ष करेंगे,
तो इस घटना से आपने क्या सीखा?
जी हां मैं आप ही से पूछ रहा हू।
यही कि लोगों की बातों के चक्कर मे पड गए तो
आगे बढ़ना तो दूर,
पागल हो जाएंगे हम
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